यदि नुकसान का बदला नुकसान से नहीं लिया जाता है, तो फिर अपने गुलाम को नपुंसक बनाने वाले व्यक्ति को नपुंसक बनाना कैसे उचित होगा?

प्रश्न विवरण


“जो कोई अपने गुलाम को मारता है, हम उसे मार देंगे। जो कोई अपने गुलाम के अंगों को काटता है, हम भी उसके अंगों को काट देंगे। जो कोई अपने गुलाम को नपुंसक बनाता है, हम भी उसे नपुंसक बना देंगे।”


– क्या इस अर्थ में कोई हदीस है?

– मुझे लगता है कि इस्लाम में नपुंसक बनाना (इघ्दिश) नहीं है। क्या इसका कोई अपवाद है?

उत्तर

हमारे प्रिय भाई,


“जो कोई अपने गुलाम को मारता है, हम उसे भी मारेंगे। जो कोई अपने गुलाम के अंगों को काटता है, हम उसके अंगों को भी काटेंगे। जो कोई अपने गुलाम को नपुंसक बनाता है, हम उसे भी नपुंसक बनाएंगे।”


(देखें: केंज़ुल्-उम्मल, ह. सं. 39956)

जिस हदीस का अर्थ यही है, उसे अबू दाऊद, तिरमिज़ी, दारिमी और अहमद बिन हनबल ने बयान किया है।

इस आधार पर, इस्लाम में

“नसबंदी”

हदीस में ‘नहीं है’ के अर्थ से संशय में पड़ना उचित नहीं है। क्योंकि इस्लाम में हत्या भी नहीं है। लेकिन, जो व्यक्ति बिना किसी कारण के हत्या करता है, वह इस्लाम में…

-संक्षेप में-

मार दिया जाएगा।

इसलिए, किसी व्यक्ति को नपुंसक बनाना उचित नहीं है। लेकिन जो व्यक्ति किसी को नपुंसक बनाकर उसे बांझ बना देता है, उसे सजा के तौर पर वही किया जाएगा।

वास्तव में, एक अन्य हदीस में निम्नलिखित शब्दों का उल्लेख किया गया है:


“किसी मुसलमान के लिए अपने गुलाम के अंगों को काटना या उसे नपुंसक बनाना जायज नहीं है। जो कोई भी अपने गुलाम के साथ ऐसा करेगा, हम उसके साथ भी वैसा ही व्यवहार करेंगे।”


(कंजुल्-उम्मल, एच. संख्या: 399957)


सलाम और दुआ के साथ…

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