क्या उस व्यक्ति की तौबा सही है जिस पर दूसरों के अधिकारों का हनन हुआ है?

उत्तर

हमारे प्रिय भाई,

आइए, इसका उत्तर हम पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से जानें:


“गुनाह करने के बाद तौबा करके नेक काम करने वाला व्यक्ति, बहुत तंग कवच पहने हुए आदमी के समान है। गुनाह के बाद अगर वह एक नेक काम करता है तो कवच के छल्ले में से एक खुल जाता है। अगर वह एक और नेक काम करता है तो दूसरा छल्ला भी खुल जाता है। नेक कामों की अंत में कवच गिर जाता है।”


(अत-तरग़ीब व अत-तरहीब, 4:97)।

जिसने अपने रब के खिलाफ गुनाह किया हो या किसी इंसान के साथ अन्याय किया हो, अगर वह उस गुनाह और गलती के बाद पछतावा करे और नेक काम करे, कुरान और ईमान की सेवा और काम में बढ़ोत्तरी करे तो गुनाह के कवच के बटन एक-एक करके खुल जाते हैं और वह जल्द ही उन गुनाहों से छुटकारा पा लेता है। अब उसे अंतरात्मा की पीड़ा, बेचैनी और दुःख से गुज़रने की ज़रूरत नहीं है। क्योंकि एक सेवक के तौर पर उसने पूरी ईमानदारी और नेकनीयत से अपनी तरफ से हर संभव कोशिश की है।

इस बीच, हमें इस कुरानिक आयत को भी नहीं भूलना चाहिए जिसका अर्थ है:


“हे मेरे उन बंदों, जिन्होंने अपने आप पर अत्याचार किया है और अपने आप को पापों से दूषित कर लिया है! अल्लाह की रहमत से निराश मत हो। निश्चय ही अल्लाह पापों को माफ़ करता है। वह बहुत क्षमाशील और दयालु है।”


(ज़ुमर, 39/53)


सलाम और दुआ के साथ…

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