व्यापार

इस्लामी कानून में व्यापार को हलाल कमाई के तरीकों में से एक माना जाता है, लेकिन इसे कुछ नियमों और सीमाओं के दायरे में ही करना चाहिए। इस श्रेणी में व्यापार की इस्लामी शर्तों, ब्याज रहित व्यापार, धोखाधड़ीपूर्ण बिक्री, छल और झूठ न बोलने जैसे नैतिक नियमों पर विस्तार से चर्चा की गई है। इसके अलावा, माल और सेवाओं की खरीद-बिक्री में ध्यान देने योग्य फिकही नियमों, अनुबंधों में न्याय सुनिश्चित करने, लाभ-हानि साझेदारी (मुदारबा, मुशरका) जैसे विषयों पर भी प्रकाश डाला गया है। इस खंड में इस्लामी अर्थव्यवस्था में व्यापार की भूमिका और हलाल कमाई के तरीकों की भी व्याख्या की गई है।

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