इस्लाम और इंसानी हक़

क़ुल हक़्क़ एक महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी है, जो तब उत्पन्न होती है जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के साथ अन्याय करता है, और यह अल्लाह के नज़दीक तभी माफ़ की जाती है जब हक़दार व्यक्ति उसे माफ़ कर दे। इस श्रेणी में झूठा आरोप लगाना, चुग़ली करना, नाजायज़ कमाई, धोखा देना, संपत्ति और मेहनत की लूट जैसे कृत्य शामिल हैं जो क़ुल हक़्क़ के अंतर्गत आते हैं। क़ुल हक़्क़ का धार्मिक पहलू, माफ़ी पाने के तरीके, तौबा (पश्चाताप) और सुलह की आवश्यकता जैसे विषयों को विस्तार से समझाया गया है। यह ज़ोर दिया गया है कि एक मोमिन (ईमान वाला) को न केवल अल्लाह के प्रति, बल्कि इंसानों के प्रति भी ज़िम्मेदारी की भावना के साथ जीवन जीना चाहिए।

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