सोने से पहले पढ़ी जाने वाली दुआ के बारे में हदीसों में क्या बताया गया है?

प्रश्न विवरण

क्या आप मुवत्ता की कविता 9 [2,950], तिरमिज़ी, दावत 34, 96 (3518) की हदीसों के तुर्की अनुवाद दे सकते हैं?

उत्तर

हमारे प्रिय भाई,

नबी-ए-अकरम -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फरमाया है:


“सोने के लिए बिस्तर पर जाने से पहले पहले फ़ातिहा, फिर इख़लास-ए-शरीफ़ पढ़ो, तो तुम मौत के अलावा हर चीज़ से सुरक्षित रहोगे।”

(कैनज़ुल्-इर्फान)

नबी-ए-अकरम -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फरमाया है कि:


“जब तुम अपने बिस्तर में जाओ तो इस तरह से भी कहो:”


“मैं अल्लाह के उन शब्दों से, जो हर तरह से पूर्ण और त्रुटिहीन हैं, उसके क्रोध, दंड, उसके बंदों की बुराई, शैतानों के हमलों और मेरे पास आने से शरण मांगता हूँ।”


यदि तुम ऐसा कहोगे तो कोई भी तुम्हें नुकसान नहीं पहुँचा सकता और तुम नुकसान पहुँचाए जाने के योग्य नहीं रहोगे।”

(अबू दाऊद, तिब्ब, 19; तिरमिज़ी, दुआत, 90; मुवत्ता’ शियर, 9)

रसूल-ए-अकरम -सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम- ने फिर फरमाया है कि:


“जब तुम सोने के लिए अपने बिस्तर पर जाओ तो क़ाफ़िरून सूरा पढ़ो। क्योंकि यह सूरा शिर्क (बहुदेववाद) से मुक्ति दिलाता है।”

(तिर्मिज़ी, दुआ, 22)

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सलाम और दुआ के साथ…

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