समय आएगा, जब इनकार करने वाले पछताएंगे और कहेंगे, “काश हम मुसलमान होते!” (सूरह हिजर, आयत 2) क्या यह आयत मुसलमानों के जहन्नुम से निकलने का प्रमाण है?

प्रश्न विवरण

समय आएगा, जब इनकार करने वाले पछताएंगे और कहेंगे, “काश हम मुसलमान होते!” (सूरह हिजर, आयत 2) क्या यह आयत मुसलमानों के जहन्नुम से निकलने का प्रमाण है?

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