यसीन सूरे में आने वाले, “सलामून क़ौलान मिन रब्बिल रहीम” आयत को तीन बार क्यों पढ़ा जाता है? क्या किसी आयत को नमाज़ के अलावा तीन बार दोहराने में धार्मिक रूप से कोई आपत्ति है?

प्रश्न विवरण

यसीन सूरे में आने वाले, “सलामून क़ौलान मिन रब्बिल रहीम” आयत को तीन बार क्यों पढ़ा जाता है? क्या किसी आयत को नमाज़ के अलावा तीन बार दोहराने में धार्मिक रूप से कोई आपत्ति है?

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