ज़ुमर सूरे की 53वीं आयत में -मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के बंदे- जैसा अर्थ निकलता है, इसे कैसे समझना चाहिए?

प्रश्न विवरण

ज़ुमर 39/53: यहाँ ऐसा लग रहा था कि मानो ये मुहम्मद के नौकर हों। लेकिन आपने कहा कि हमें इस आयत को “उनसे कहो, मेरे द्वारा” के रूप में समझना चाहिए। आपने ऐसा कहा, जबकि कुरान में “उनसे कहो, मेरे द्वारा” नहीं लिखा है। वहाँ लिखा है “कहो, हे मेरे बंदों”। तो क्या इस आयत को आपके बताए अनुसार समझना थोड़ा मुश्किल नहीं है?

उत्तर

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