जहाँ हम रहते हैं, वहाँ मस्जिद नहीं है, और अगर बन भी जाए, जो कि इस देश में संभव नहीं लगता, तो भी तीन पुरुष मुसलमान नहीं हैं जो मिलकर जुम्मे की नमाज़ की शर्तों में से एक को पूरा कर सकें। आपने सुझाव दिया है कि अगर हम विदेश में इस्लाम को नहीं जी सकते तो मुसलमान देश में ही बस जाएँ, लेकिन जब किसी का परिवार, काम और व्यवस्था यहीं हो तो ऐसा करना आसान नहीं है। और दुर्भाग्य से, अगर कोई तुर्की वापस भी चला जाए तो आर्थिक हालातों की वजह से उसे दोगुना काम करना पड़ेगा, और जुम्मे की नमाज़ तो दूर, शायद वो सामान्य नमाज़ भी नहीं अदा कर पाएगा। नियम क्या है और हमें क्या करना चाहिए?
हमारे प्रिय भाई,
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सलाम और दुआ के साथ…
इस्लाम धर्म के बारे में प्रश्नोत्तर