क्या बार-बार धर्म छोड़कर फिर से धर्म में लौटने वाले व्यक्ति की तौबा कबूल की जाती है?

उत्तर

हमारे प्रिय भाई,


“जो लोग ईमान लाए, फिर इनकार किया, फिर ईमान लाए, फिर इनकार किया, और फिर इनकार में आगे बढ़े, अल्लाह उन्हें न तो माफ़ करेगा और न ही उन्हें सीधे रास्ते पर लाएगा।”

(एन-निसा, 4/137)


जो पहले ईमान लाए, फिर इनकार किया, फिर ईमान लाए, फिर इनकार किया और फिर पूरी तरह से इनकार करने लगे,

क्या ऐसे लोग नहीं हैं जो ईमान से कुफ्र में और कुफ्र से ईमान में बदलते रहे और अंत में कुफ्र में ही स्थिर हो गए और इस तरह कुफ्र को बढ़ावा दिया?

किसी भी तरह से अल्लाह के इन लोगों को माफ करने और उन्हें सही रास्ते पर लाने की कोई संभावना नहीं है।

मतलब, अगर वे ईमान लाते हैं तो उन्हें स्वीकार नहीं किया जाता, लेकिन ज़्यादातर लोग इसलिए ईमान नहीं लाते क्योंकि उनके दिल मुहरबंद हैं, और वे तब तक ईमान नहीं लाते जब तक कि उनकी मौत का समय न आ जाए, और शायद तब भी नहीं। और ईमान न लाने पर भी।

“वह उस व्यक्ति को क्षमा नहीं करेगा जो (ईश्वर के साथ) किसी को शरीक बनाता है…”

इस आयत के अनुसार, वे कभी भी क्षमा नहीं पाएँगे। यदि वे उस समय पश्चाताप करें जब पश्चाताप स्वीकार्य हो और सच्चे दिल से ईमान लाएँ, तो जो होने वाला है वह…

“और जो लोग उनका अनुसरण करते हैं और ईमान रखते हैं…”

उन्हें अपवाद के आधार पर स्वीकार किया जा सकता था और माफ़ किया जा सकता था, लेकिन वे ऐसा नहीं करते…

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पाप के लिए पश्चाताप…


सलाम और दुआ के साथ…

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