पैरों को ढँककर नमाज़ अदा करना बहुत ही सुन्नत है। (हालेबी, बेरीका, हादिक़ा) नमाज़ मोज़े या मस्त (पैरों के ढँकने वाले वस्त्र) पहनकर अदा करनी चाहिए, नंगे पैर नमाज़ अदा करने वाले यहूदियों की तरह नहीं बनना चाहिए। हदीस-ए-शरीफ़ में है, (यहूदियों की तरह न बनने के लिए नमाज़ मोज़े या मस्त पहनकर अदा करो)। रसूलुल्लाह और सहाबा-ए-किराम मोज़े या मस्त पहनकर नमाज़ अदा करते थे। उनके मोज़े या मस्त साफ़ होते थे और गंदे मोज़े या मस्त पहनकर मस्जिद में नहीं जाया जाता था। मोज़े या मस्त पहनकर नमाज़ अदा करने का क्या मतलब है और क्या नंगे पैर नमाज़ अदा करना मकरूह है?
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सलाम और दुआ के साथ…
इस्लाम धर्म के बारे में प्रश्नोत्तर