क्या ज़िलहिज्जे के रोज़े की जगह क़ज़ा का रोज़ा रखने से भी नफ़िल का सवाब मिलता है?

प्रश्न विवरण

जल्द ही हम ज़िन्हुल्हिज्जा में प्रवेश करने वाले हैं, पहले दस दिनों में रोज़ा रखना सुन्नत है, लेकिन यह रोज़ा नफ़ल रोज़ा है, मेरे बहुत सारे क़ज़ा रोज़े हैं, इंशाअल्लाह मैं रोज़ा रखने का इरादा करूँगा, लेकिन क्या क़ज़ा के इरादे से उन मुबारक दिनों के रोज़े का सवाब भी पाना मुमकिन है?

उत्तर

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सलाम और दुआ के साथ…

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