क्या कज़ा कर्ज़ वाले व्यक्ति को तरावीह की नमाज़ अदा करनी चाहिए?

प्रश्न विवरण

क्या जो लोग नमाज़ अदा करने में पीछे रह गए हैं, उन्हें तरावीह की नमाज़ में पीछे रहकर नमाज़ अदा करनी चाहिए या इमाम के साथ नमाज़ अदा करनी चाहिए?

उत्तर

हमारे प्रिय भाई,

जिन लोगों पर क़ज़ा नमाज़ का कर्ज़ है, उनके लिए तरावीह की नमाज़ अदा करने में कोई हर्ज नहीं है। हम तरावीह की नमाज़ अदा करने और साथ ही अन्य समयों में क़ज़ा नमाज़ अदा करने की सलाह देते हैं।

पिछली हुई नमाज़ों की क़ज़ा करना, नफ़िल नमाज़ों से ज़्यादा ज़रूरी और प्राथमिकता वाला है। लेकिन, वक़्त की नमाज़ों के साथ नियमित रूप से अदा की जाने वाली नफ़िल नमाज़ें (रवातिब सुन्नत), जैसे कि सुबह की नमाज़, इशा की नमाज़, तरावीह आदि, जहाँ तक हो सके, अदा करनी चाहिएं।

हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने एक हदीस में कहा है,

इसलिए, सुन्नत नमाज़ों को भी महत्व देना और उन्हें अदा करने की कोशिश करनी चाहिए।

हनाफी संप्रदाय के लोग, भले ही उनके पास अदा करने के लिए कोई बकाया नमाज़ें हों, फिर भी तरावीह की नमाज़ अदा करते हैं।

हमारे शाफी भाई-बहन तरावीह की नमाज़ की जगह क़ज़ा नमाज़ अदा करते हैं। अगर वे तरावीह की नमाज़ अदा करने वाले इमाम के पीछे नमाज़ अदा करते हैं, तो वे क़ज़ा नमाज़ अदा करने का इरादा करके नमाज़ अदा करते हैं।

अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें:

क्या कज़ा नमाज़ का कर्ज़दार व्यक्ति सुन्नत नमाज़ अदा कर सकता है?


सलाम और दुआ के साथ…

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