क्या आप यात्रा में नमाज़, क़सर, जमा-ए-तकदीम और जमा-ए-ताहिर के बारे में जानकारी दे सकते हैं? क्या कोई व्यक्ति, जो किसी नमाज़ को जमा-ए-तकदीम करके अदा कर चुका हो, और बाद में उस नमाज़ के वक़्त में उसे अदा करने का अवसर पाए, उसे फिर से अदा करना चाहिए?

प्रश्न विवरण

1) यात्रा में जमा-ए-तकदीम और जमा-ए-ताहिर के साथ क़सर की नियत कैसे की जाती है? 2) अगर कोई व्यक्ति जानता है कि वह यात्रा में अज़ान-ए-असर को समय पर अदा कर सकता है, तो क्या वह जमा-ए-तकदीम कर सकता है? क्या वह समय पर अदा करने की स्थिति में जमा-ए-ताहिर कर सकता है? (शाफ़ी और हनफ़ी)

उत्तर

हमारे प्रिय भाई,

शाफई मत के अनुसार, यात्रा में, बारिश के मौसम में, हज में अराफ़ात और मुज़दलिफ़ा में दो नमाज़ों को एक साथ अदा करना (जमा करना) जायज़ है।

शाफई मत के अनुसार, यात्रा में, बारिश के मौसम में, हज में अराफ़ात और मुज़दलिफ़ा में दो नमाज़ों को एक साथ अदा करना (जमा करना) जायज़ है।

जो व्यक्ति जम के साथ नमाज़ अदा करने का इरादा रखता है, उसके लिए बस इसे अपने दिल में सोच लेना काफी है।


सलाम और दुआ के साथ…

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