क्या आप मुझे वराका बिन नूफ़ल के जीवन के बारे में जानकारी दे सकते हैं?

उत्तर

हमारे प्रिय भाई,

वह हज़रत खदीजा (र.अ.) के चाचा के बेटे थे। वे विद्वान व्यक्ति थे। जाहिलियत के दौर में वे ईसाई बन गए थे और उन्होंने इंजील और तोराह का अध्ययन किया था। जब हज़रत पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर नबुव्वत की कृपा हुई, तब वे बूढ़े और अंधे हो चुके थे।

हज़रत खदीजा (र.अ.) ने पहले वक़्त के वहाया से घबराए हुए और डरे हुए रसूल-ए-अकरम (स.अ.) को वराका के पास ले गईं और उन्हें सारी बात बताई और उनसे राय मांगी। वराका ने रसूलुल्लाह (स.अ.) की बात सुनने के बाद कहा कि वे ही वह पैगंबर हैं जिनकी प्रतीक्षा की जा रही थी, और हज़रत मूसा (अ.) और हज़रत ईसा (अ.) ने उनके आने की भविष्यवाणी की थी, और जो फ़रिश्ता उनके पास आया था, वह वही जिबरील (अ.) है जो पहले पैगंबरों के पास भी आया था।

उसने यही कामना की। लेकिन कुछ समय बाद उसकी मृत्यु हो गई।

इब्न हजर ने उन्हें सहाबी बताया है। जब हज़रत खदीजा (र.अ.) ने हज़रत पैगंबर (स.अ.) से वराका की स्थिति के बारे में पूछा, तो रसूल-ए-अकरम (स.अ.) ने कहा कि उन्होंने उसे सपने में सफेद कपड़े पहने हुए देखा था,

उसने जवाब दे दिया है।


सलाम और दुआ के साथ…

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